DNA: बकरीद पर एक भैंसे के लिए ‘पुलिस फोर्स’ क्यों उतारनी पड़ी? जान बचाने वाला विश्लेषण

Bakrid: बकरीद के मौके पर अब उस भैंसे की कहानी आपको बताएंगे जिसे बचाने के लिए पुलिस फोर्स उतारनी पड़ी. एक भूरा मियां इस बकरीद पर भैंसे की कुर्बानी देना चाहते थे. पंचायत से इसकी अनुमति नहीं मिलने पर हाईकोर्ट तक चले गए थे. लेकिन भूरा मियां और उनके साथियों के हाथ हाईकोर्ट से भी निराशा ही लगी. बकरीद पर दिनभर भूरा मियां की बकरीद की चर्चा होती रही. वहीं जी न्यूज़ की टीम भी भूरा मियां के गांव हैदरगढ़ में मौजूद थी. जहां पर आस पास के कई थानों की पुलिस को तैनात किया गया था. इसलिए आपको भी भूरा मियां की बकरीद पर विदिशा के हैदरगढ़ गांव से हमारी ग्राउंड रिपोर्ट बहुत ध्यान से पढ़नी चाहिए.

भैंसे की कुर्बानी का उनका इरादा पूरा नहीं हुआ

तो भूरा मियां और उनके साथियों ने बकरीद पर नमाज पढ़ी, कुर्बानी भी दी. लेकिन भैंसे की कुर्बानी का उनका इरादा पूरा नहीं हुआ. इसलिए वो मायूस हैं. भूरा मियां के बाकी साथियों ने बकरीद पर पारंपरिक कुर्ता पायजामा पहना, टोपी लगाई लेकिन भूरा मियां पैंट शर्ट में दिखाई दिए. ये भी उनके विरोध का तरीका था. फिलहाल पंचायत के फैसले और पुलिस बल तैनात होने से उन भैसों की जान जरूर बच गई. जिन्हें भूरा मियां और उनके साथी बकरीद पर कुर्बान करने वाले थे.

हैदरगढ़ में भैंसा कुर्बानी से बच गया. यहां बकरे की कुर्बानी देकर बकरीद मनाई गई. लेकिन देश में कुछ ऐसे भी लोग थे जो चाहते थे कि आज का दिन त्यौहार के लिए नहीं, विवाद के लिए याद किया जाए. लेकिन ये कोशिशें नाकाम कर दी गईं. मध्यप्रदेश के दामोह में लगभग 200 गायों को गौ-तस्करों से मुक्त करवाया गया. इसके अलावा बकरीद से पहले रायसेन में भी गोवंश से भरे दो ट्रक पकड़े गए और गौ-तस्करों के कब्जे से इन गायों को छुड़ाया गया. बकरीद से पहले जो लोग गायों को इस तरह लेकर जा रहे थे, वो अपने इरादों में कामयाब होते तो त्योहार पर माहौल खराब हो सकता था.

बकरों की बिक्री के कुछ दिलचस्प आंकड़े

आज कुर्बानी के लिए बकरों की बिक्री के कुछ दिलचस्प आंकड़े भी सामने आए हैं. आपको उनके बारे में भी जानना चाहिए .

– देश भर से आई रिपोर्टस के मुताबिक बकरीद में 11 लाख से ज्यादा बकरे कुर्बानी के लिए बेचे गए हैं .

– उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बकरा मंडियों में 450 करोड़ रूपये के बकरों की बिक्री हुई.

– अजमेरा नस्ल का एक बकरा साढ़े सात लाख रुपये में बिका. जिसे इस साल देश का सबसे महंगा बकरा कहा जा रहा है.

एक तरफ बकरीद पर कुर्बानी के लिए बकरों की बिक्री के नए रिकॉर्ड बन रहे थे तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी थे, जो बकरों को सिर्फ उनकी जिंदगी बचाने के लिए खरीद रहे थे. अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे कि बेजुबान जानवर को ना मारा जाए. आपने आज से पहले कई बार गौशाला की खबरें देखी होंगी. लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत में एक बकराशाला संचालित की जा रही है. कुर्बानी के लिए बेचे जा रहे बकरों को खरीदकर इसी बकराशाला में रखा गया है. बागपत के जैन समाज के लोगों ने बकरों को कुर्बानी से बचाने के लिए ये बकराशाला बनाई है. इस बकराशाला में अभी भी 650 बकरे मौजूद हैं. आज आपको भी इन बकरों की जान बचाने वालों की बात सुननी चाहिए और जानना चाहिए जिन्हें बकरों से कोई आर्थिक लाभ नहीं वो उनका पालन कैसे कर रहे हैं.

बकराशाला चला रहे सचिन जैन भगवान महावीर के अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत का पालन करते हैं और जीव हत्या के विरोधी हैं.यही वजह है वो कुर्बानी के लिए नहीं बल्कि बकरों को बचाने और उनकी देखभाल के लिए अपने पैसे खर्च कर रहे हैं. इनको इससे ही खुशी और संतुष्टि मिलती है. ये अच्छी पहल है और हमें आपको मिलकर इनका हौसला बढ़ाना चाहिए.

लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं. जिन्हें त्योहारों के दिन भी नफरत फैलाने में खुशी मिलती है. सोशल मीडिया पर भी आज कुछ ऐसे लोग सक्रिय दिखे जिन्होंने बकरीद की शुभकामनाएं देने के लिए भी नफरती तरीका अपनाया. सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे बकरीद के इस बधाई संदेश को देखिए. इसमें ईद उल अजहा यानि बकरीद की मुबारकबाद देते हुए जो पोस्ट शेयर की गई. उसमें एक बच्चा गाय को लेकर जाता दिख रहा है. क्या बकरीद की बधाई देते वक्त ऐसी पोस्ट से बचा नहीं जाना चाहिए था. ये सवाल तो उठता है ऐसी पोस्ट शेयर करने वालों को इस्लामिक स्कॉलर मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा का संदेश भी बहुत ध्यान से सुनना चाहिए.

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने कहा, ‘ईद-ए-क़ुर्बां सिर्फ़ जानवर ज़बह करने का नाम नहीं, बल्कि अपने अंदर की बुराइयों को ख़त्म करने का नाम है. आइए इस मुबारक मौके पर हम अपनी रूहानी क़ुर्बानी भी दें. तकब्बुर, चुग़लख़ोरी, मक्र व फ़रेब, और दिलों की नफ़रतों को क़ुर्बान करें. ताकि हमारा मुआशरा पाक-साफ़, पुरअमन और रहमतों से भरपूर हो सके

बकरीद पर जिन्होने लोगों की भावनाएं भड़काने वाले पोस्ट शेयर किए. उन्हें शायद बकरीद के सही मायनों का पता नहीं. आज अगर मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा की बातों को सुना जाए, बकरीद के सही मायनों को समझा जाए तो हमारा समाज और बेहतर हो सकता है .

देश में बकरीद पर नफरती पोस्ट शेयर करने वाले लोग मौजूद हैं. तो आज ऐसे मुलसमान भी सामने आए जिन्होंने इकोफ्रेंडली बकरीद मनाई. गाजियाबाद के लोनी में इकोफ्रेंडली बकरीद की मांग की जा रही थी. इसे ध्यान में रखते हुए कुछ मुसलमानों ने बकरे की कुर्बानी देने की जगह केक काटकर बकरीद मनाई. आप इस वक्त गाजियाबाद के लोनी की जो तस्वीरें देख रहे हैं. उसमें मुसलमान बकरे की कुर्बानी की जगह केक काट रहे हैं. एक दूसरे को केक खिलाकर बकरीद की खुशियां मना रहे हैं. आप इसे देश में इकोफ्रेंडली बकरीद की शुरुआत भी कह सकते हैं. आज आपको केक काटकर बकरीद मनाने वालों की बातें भी सुननी चाहिए .

इलाके के कुछ लोगों को इस तरह बकरीद मनाने पर आपत्ति भी है. लेकिन कुछ मुसलमान दूसरों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कुर्बानी की जगह केक काटने को बेहतर मान रहे हैं उन्हें लगता है समाज इससे और बेहतर हो सकता है.

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